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ऐसे तय किए जाते हैं Toll Tax के रेट, 99 फीसदी को नहीं पता ये जानकारी

आपने देखा होगा कि जब आप हाइवे से होकर कही जाते है। रास्ते पर टोल टैक्स आता है और आपको टोल देना पड़ता है। क्या आप जानते है कि टोल टैक्स के रेट कौन तय करता है। ये टोल हमसे क्यों लिए जाते है। बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें इस बारे में नहीं पता है। तो चलिए हम आपको बताते है...
 

Meri Kahani, New Delhi  जब भी आप सड़क के रास्ते कहीं घूमने या जाने का प्लान बनाते हैं तो रास्ते में आने वाले टोल टैक्स पर जरूर रुकना पड़ता है. आखिर आपको टोल टैक्स दिए

बिना आगे बढ़ने की इजाजत जो नहीं होती है. अब ये टोल टैक्स क्या होते हैं, क्यों लिए जाते हैं और इनके रेट कैसे तय होते हैं, इन सभी सवालों से अगर कभी भी आप दो-चार हुए हैं तो आज उनके जवाब भी जान लीजिए-

टोल टैक्स को आम भाषा में टोल भी कहा जाता है. यह एक प्रकार का शुल्क होता है जो किसी भी वाहन चालक को इंटरस्टेट एक्सप्रेसवे, नेशनल या स्टेट हाईवे पार करते हुए देना होता है.

ये हाईवे टोल रोड भी कहे जाते हैं और इनका पूरा प्रबंध नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) करता है. दो टोल बूथ के बीच की दूरी आमतौर पर 60 किमी होती है. 

टोल टैक्स का इस्तेमाल सड़कों के रखरखाव और निर्माण इत्यादि में किया जाता है. इस शुल्क के जरिए सरकार हाईवे और एक्सप्रेसवे निर्माण की योजना बनाती है और उनका रखरखाव करती है. 

टोल टैक्स का रेट कई बातों पर निर्भर करता है. इसमें वाहन की खरीद कीमत, इंजन की क्षमता, लोगों के बैठने की क्षमता इत्यादि शामिल हैं. इसके अलावा हाईवे की जो दूरी लगभग 60 किमी होती है

उसके कम या ज्यादा होने पर भी वसूले जाने वाले टोल टैक्स के रेट में बदलाव हो जाता है. इस साल अप्रैल महीने में सरकार ने टोल टैक्स के दामों में इजाफा किया था.

इसके अनुसार हल्के वाहनों के टोल टैक्स में 10 रुपये और भारी वाहनों के टोल टैक्स में 65 रुपये बढ़ाए गए थे. अगर ये सवाल आपके भी मन में आता है तो यह जान लीजिए

कि रोड टैक्स और टोल टैक्स दोनों अलग होते हैं. रोड टैक्स RTO द्वारा लिया जाता है जब आप एक ही राज्य में अलग-अलग सड़कों का इस्तेमाल करते हैं. जबकि टोल टैक्स इंटर स्टेट हाईवे का इस्तेमाल करने पर लिया जाता है. 

NHAI ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए टोल टैक्स को आसानी से और जल्दी भरने की सुविधा भी दी है. इसी का नाम है FASTag ये वाहन के शीशे के अंदर की तरफ लगा होता है.

इससे सीधे वाहन मालिक के अकाउंट से टोल की राशि ले ली जाती है और उसे बिना इंतजार किए टोल क्रॉस करने की अनुमति मिल जाती है.