Meri Kahania

बड़ी राहत: कच्चे तेल के नहीं बढ़ेंगे दाम, जाने डिटेल

इजराइल-हमास युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।
 | 
बड़ी राहत: कच्चे तेल के नहीं बढ़ेंगे दाम, जाने डिटेल 

Meri Kahania, New Delhi: मामले से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) इसका बोझ लोगों पर नहीं डालेंगी और ऊंची लागत खुद ही वहन करेंगी।

2 नवंबर को कच्चे तेल की भारतीय बास्केट 87.33 डॉलर प्रति बैरल पर थी, जो मई में दर्ज औसत न्यूनतम 74.98 डॉलर प्रति बैरल से काफी ऊपर थी। सितंबर में यह बढ़कर औसतन 93.54 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.

विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि संघर्ष का तेल की कीमतों पर सीमित प्रभाव पड़ा है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी का असर उपभोक्ताओं पर नहीं डाला गया है। आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है जब तक कि कच्चे तेल की कीमतें उच्चतम स्तर पर न पहुंच जाएं.

क्या है मौजूदा स्थिति: देश में बिकने वाले कुल पेट्रोल-डीजल में प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी है. इन कंपनियों ने पिछले 18 महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग कोई बदलाव नहीं किया है।

यह तब है जब कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी गई. इसके चलते साल 2022-2023 की पहली छमाही में इन कंपनियों को घाटा भी हुआ. हालांकि, बाद में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट के कारण उन्हें भारी मुनाफा भी हुआ। उस वक्त भी पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं हुए थे.

95 डॉलर तक स्थिति संभाल लेगा भारत: वहीं, ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि अगर तेल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल पर रहती हैं, तो भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिति को संभालने में सक्षम होगी और आरबीआई भी ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखेगा।

यदि कच्चा तेल 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला जाता है, तो इससे घरेलू ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं और मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है। आरबीआई को एक बार फिर ब्याज दरें बढ़ानी पड़ सकती हैं.

13 महीने का रिकॉर्ड टूटा: कच्चे तेल ने पिछले 13 महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान क्रूड की कीमतों में 30 फीसदी का उछाल देखने को मिला. यह बढ़ोतरी सऊदी अरब और रूस द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन और आपूर्ति में कटौती के बाद आई है.

घोषणा के वक्त कच्चे तेल की कीमत 76 डॉलर प्रति बैरल थी, जो बढ़कर 100 डॉलर के करीब पहुंच गई. हालांकि, बाद में रूस ने उत्पादन बढ़ा दिया, जिससे कीमतें गिर गईं. फिलहाल ब्रेंट क्रूड का भाव 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ है.

तीसरा सबसे बड़ा आयातक: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। भारत अपनी कुल कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है। अक्टूबर में भारत के तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी लगभग 35% थी, इसके बाद इराक का 21% और सऊदी अरब का 18% था।

दूसरे देशों से भी खरीदने पर विचार: पिछले हफ्ते केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि भारत दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीदने पर विचार कर रहा है, बशर्ते यह सस्ता उपलब्ध हो।

अगर वेनेज़ुएला का तेल बाज़ार में आता है, तो इसका वैश्विक तेल की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा भारत गुयाना, कनाडा, गैबॉन, ब्राजील और कोलंबिया जैसे देशों से अधिक तेल लेने पर भी विचार कर रहा है।

Around The Web

Trending News

You May Like

Recommended