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टोकरी में बैठकर पेंशन लेने पहुंची बुजुर्ग महिला, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

झारखंड सरकार एक तरफ तो गांव गांव तक पक्की सड़क निर्माण के दावे करती है. लेकिन दूसरी ओर लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में अभी भी कई ऐसे गांव हैं, जहां पक्की सड़क की तो बात ही दूर है.

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क्यों टोकरी में बैठकर पेंशन के पैसे लेने पहुंची बुजुर्ग महिला

Meri Kahani, New Delhi  लातेहार झारखंड के लातेहार जिले में एक ऐसा दृश्य दिखा, जिसने सरकार के विकास के दावे की पोल खोल कर रख दी. महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय में आदिम जनजाति परिवार की एक वृद्ध महिला अपना पेंशन लेने टोकरी में बैठकर आई.

महिला का पति और उसका बेटा उसे टोकरी में बैठा कर कंधे पर ढोकर लाए थे. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों तो चलिए हम बताते हैं. गांव में सड़क का निर्माण नहीं हुआ तो परेशान होकर बुजुर्ग महिला को टोकरी में ढोकर लाया गया. इस दृश्य ने सरकार के विकास योजनाओं की पोल खोल दी.

टोकरी में बैठकर क्यों आई बुजुर्ग महिला

झारखंड सरकार एक तरफ तो गांव गांव तक पक्की सड़क निर्माण के दावे करती है. लेकिन दूसरी ओर लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में अभी भी कई ऐसे गांव हैं, जहां पक्की सड़क की तो बात ही दूर है.

वहां साधारण कच्ची सड़क तक नहीं बन पाई है. ऐसा ही गांव में एक है ग्वालखांड. इस गांव में आज तक सड़क का निर्माण नहीं होने के कारण ग्रामीण आज भी पैदल ही गांव में आने जाने को विवश है. विकास के नाम पर चलने वाली गाड़ियां आज भी इस गांव से कोसो दूर है.

इस गांव में साइकिल से भी जाना मुश्किल

प्रखंड मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में साइकिल से भी जाना मुश्किल होता है. इसी कारण वृद्ध महिला को टोकरी में बिठा कर लाना पड़ा.

चलने में असमर्थ होने के कारण आदिम जनजाति की महिला लालो कोरबा को पेंशन के पैसे निकालने के लिए उसके पति देवा कोरबा और बेटा सुंदरलाल कोरबा ने टोकरी में बैठाकर महुआडांड़ लाया था. हालांकि, बैंक का लिंक फेल होने के कारण महिला को पेंशन भी नहीं मिल पाया जिस कारण उन्हें बैरंग वापस घर लौटना पड़ा.

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