टूरिस्टों को सुविधा देने किए यूपी के इन शहरों में बनेगी फूड स्ट्रीट, मिलेगें ये व्यजंन   
Meri Kahania

टूरिस्टों को सुविधा देने किए यूपी के इन शहरों में बनेगी फूड स्ट्रीट, मिलेगें ये व्यजंन   

यूपी सरकार के द्नारा प्रदेश में आने वाले ट्यूरिस्टों को बढ़ावा देने के लिए फूड स्ट्रीट बनाने की योजना बना रही है. इसके लिए सरकार के द्वारा प्लान तैयार किया गया है और ये खास व्यजंन मिलने वाले है. आइए जानते है पूरी जानकारी 
 
यूपी के इन शहरों में बनेगी फूड स्ट्रीट

Meri Kahani,New Delhi अब उत्तर प्रदेश के हर शहर में फूड स्ट्रीट बनेगा जिसका लाभ टूरिस्टों को मिलेगा क्योंकि यहां जाने वाले सैलानी फूड स्ट्रीट पर लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा सकेंगे.

इतना ही नहीं इन फूड स्ट्रीट में सिर्फ यूपी का ही नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों का खाना मिलेगा और सैलानी इन सूबों के टेस्ट से परिचित होंगे. ये फूड स्ट्रीट संस्कृति और आवास विभाग बनाएगा.

संस्कृति और आवास विभाग योजना पर करेगा काम-

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्कृति और आवास विभाग से कहा है कि वे हर शहर में एक समर्पित फूड स्ट्रीट बनाने की कार्य योजना तैयार करने के लिए विभिन्न विकास प्राधिकरणों के साथ समन्वय स्थापित करें.

इस बात की जानकारी सरकारी प्रवक्ता ने दी है. उनके अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना लोगों को विभिन्न राज्यों के भोजन से परिचित कराएगी और उन्हें पता चल जाएगा कि जब वे तमिलनाडु, पंजाब, केरल, उत्तराखंड, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों की यात्रा करते हैं तो उन्हें क्या देखना खाना चाहिए.

देश के विभिन्न राज्यों का ही नहीं बल्कि विदेशी फूड भी मिलेगा-

मुख्यमंत्री ने कहा कि भोजन, पोशाक, भाषा और संस्कृति के मामले में भारत की विविधता इसकी विशेषता है. योगी आदित्यनाथ ने कहा, हमारे यहां प्राचीन काल से संगम की परंपरा रही है.

भारत की सभी संस्कृतियां देश की ताकत हैं. इसलिए समर्पित फूड स्ट्रीट होनी चाहिए, जहां देश के विभिन्न हिस्सों व विदेशों का भी भोजन मिल सके. उन्होंने कहा कि देश का सबसे बड़ा संगम प्रयागराज में है, जहां अदृश्य सरस्वती नदी गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में विलीन हो जाती है.

यहां हम सभी को कुंभ के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन देखने को मिलता है. अगर आप उत्तराखंड से चलते हैं तो आपको कई प्रयाग मिल जाएंगे, विष्णु प्रयाग, नंद प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग और फिर यह प्रयाग और यह संगम हमारे वर्तमान प्रयागराज के रूप में दिखाई देता है.

हाल ही में आयोजित काशी-तमिल संगमम का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य दो विविध संस्कृतियों के लोगों को एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने और समझने और उन्हें एकजुट करने में मदद करना है.

उन्होंने कहा, तमिलनाडु के बारह समूह एक महीने के लिए काशी में थे. समूहों में छात्र, शिक्षक, धार्मिक नेता, कलाकार, हस्तशिल्पकार, किसान और मजदूर शामिल थे. उन्होंने प्रयागराज और अयोध्या का दौरा किया. इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने उत्तर के बारे में तमिलों की गलतफहमियों को दूर किया.

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