Noida: IGI के मुकाबले जेवर एयरपोर्ट से सस्ती पड़ेगी उड़ान, जानिए कितना कम होगा किराया

रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश मात्र 1 प्रतिशत कर वसूल रहा है, जबकि दिल्ली का कर 25 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि यदि आप यहां से फ्लाइट लेते हैं तो अपने हवाई किराए पर 10 से 15 प्रतिशत की महत्वपूर्ण बचत कर सकते हैं. इसी कारण बजट के प्रति जागरूक यात्रियों के लिए यह पसंदीदा विकल्प बूनने जा रहा है. इस प्रभावशाली लागत अंतर से बोर्ड भर में टिकट की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की भारी गिरावट आने की उम्मीद है.
उदाहरण के लिए, दिल्ली से लखनऊ तक का हवाई जहाज का टिकट, जिसकी कीमत 3,500 रुपये है. अब नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से अनुमानित 2,800 रुपये में सुरक्षित किया जा सकता है. नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो वर्तमान में जेवर में निर्माणाधीन है, आने वाले सालों के फरवरी तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा और यात्री सेवाएं अक्टूबर में शुरू हो जाएंगे. यमुना प्राधिकरण ने आत्मविश्वास से अनुमान लगाया है कि उद्घाटन दिवस से ही नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 65 से कम विमान उड़ान नहीं भरेंगे.
अपने निर्माण चरण के दौरान भी, हवाई अड्डा रियल एस्टेट क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित कर रहा है. अक्टूबर की एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जेवर के आगामी हवाई अड्डे पर रनवे और हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) टावर मार्च 2024 तक तैयार होने की राह पर हैं, रनवे पहले ही 70 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. 1,334 हेक्टेयर में फैला, जेवर हवाई अड्डा अपने छह प्रस्तावित रनवे के संचालन में आने के बाद भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक बनने की ओर अग्रसर है.
कंपनियां कर रही है निवेश
गौरतलब है कि इस परियोजना की आधारशिला किसी और ने नहीं बल्कि 25 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी. एक औद्योगिक और प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में नोएडा के विकास को हवाई अड्डे के विकास से एक बड़ा बढ़ावा मिला है. एचसीएल, टेक महिंद्रा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां पहले ही इस क्षेत्र में अपनी आउटलेट खोल चुकी हैं. माइक्रोसॉफ्ट, विशेष रूप से, 3,000 नौकरियां पैदा करने और 1,800 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण निवेश करने की योजना बना रही है, जैसा कि सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार के अधिकारियों ने घोषणा की है. और निवेशकों की सूची बढ़ती जा रही है, सैमसंग, डिक्सन, एलजी, ओप्पो, वीवो, लावा और ऑप्टिमस जैसे फोन और व्हाइट गुड्स निर्माता पहले ही इस क्षेत्र में निवेश कर चुके हैं और आगे की विस्तार योजनाओं पर काम कर रहे हैं.