PM Vishwakarma Yojana: सरकार की इस योजना में 9.09 लाख लोगों ने लोन के लिए किया आवेदन, जाने डिटेल

Meri Kahania, New Delhi: 'विश्वकर्माओं' और उनके परंपरागत कौशल को आधुनिक औजारों और तकनीक के साथ जोड़ने के मकसद से बीती 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पीएम विश्वकर्मा' योजना शुरू की और 25 अक्टूबर तक सरकार के पास 9.09 लाख आवेदन भी आ गए।
इस योजना से जुड़े कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (MSDE) के मुताबिक, 30 लाख परंपरागत शिल्पकारों को फायदा पहुंचाने वाली इस योजना के लिए मिले आवेदनों में 81% पांच पारंपरिक शिल्प कलाओं में ट्रेनिंग चाहते हैं।
इनमें दर्जी, मेसन (राजमिस्त्री), बढ़ई (सुथार), बाल काटने वाले (नाई) और टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर शामिल हैं। मंत्रालय इस साल के बचे हुए कुछ महीनों में ही छह लाख लोगों को चुनकर इस योजना का लाभ उन्हें देना चाहता है।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी कहते हैं कि पीएम की सोच से कौशल विकास और उद्यमशीलता को नया मुकाम हासिल हुआ है।
साल 2014 में यह नया मंत्रालय बना और उसके बाद से युवाओं के कौशल में पहले की तुलना में कहीं ज्यादा निवेश हुआ है। स्किलिंग, अपस्किलिंग और री-स्किलिंग- तीनों पर फोकस किया जा रहा है। शिक्षा को स्किल के साथ जोड़ा जा रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप छठी कक्षा से ही स्किल ट्रेनिंग शुरू करने की तैयारी है। इस दिशा में स्किल इंडिया डिजिटल मिशन प्लैटफॉर्म को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल में लॉन्च किया है। इस प्लैटफॉर्म पर कौशल विकास, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के सभी अवसर मौजूद हैं।
6 लाख लोगों को इसी साल फायदा
मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी कहते हैं कि विश्वकर्मा योजना के साथ तीन मंत्रालय जुड़े हैं। ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है। ग्राम पंचायत, जिला स्तर पर वेरिफिकेशन के बाद योजना के लाभार्थियों का फाइनल सिलेक्शन होगा।
इस साल बचे समय में छह लाख लोगों के चयन की पूरी संभावना है। उसके बाद बचे टारगेट को पूरा किया जाएगा।
आवेदनों में बंगाल, कर्नाटक, असम, यूपी, ओड़िशा टॉप पर
'पीएम विश्वकर्मा' योजना में सबसे ज्यादा 3.18 लाख आवेदन पश्चिम बंगाल से आए हैं। कर्नाटक से 1.56 लाख आवेदन, असम से 82484, यूपी से 68786, ओडिशा से 59372, महाराष्ट्र से 39393, पंजाब से 38211 आवेदन आ चुके हैं।
बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हिमाचल, मिजोरम, सिक्किम, अरुणाचल समेत 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ये आवेदन मिले हैं। प्राथमिकता वाले 254 जिलों पर खास फोकस है, जहां पारंपरिक कारीगरों के लिए सेंटर बनाकर उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस योजना में 18 पारंपरिक शिल्प-कलाओं को शामिल किया गया है।
इनमें बढ़ई, नाव निर्माता, अस्रकार, लोहार, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले, बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), सुनार, कुम्हार, जूते बनाने वाले, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाले, पत्थर तोड़ने वाले, राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, मालाकार, कपड़े धोने वाले, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले कारीगर शामिल हैं।
दर्जी के लिए 3 लाख से ज्यादा आवेदन आए हैं। राजमिस्त्री के लिए 2.43 लाख, बढ़ई के लिए 1.05 लाख आवेदन आए हैं।