Shocking: यहां पूरा गांव मिलकर कराता है बेटी की शादी, ऐसे किया जाता है पैसों का इंतजाम
यही नहीं, बेटी भी इस गांव में जन्म लेकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करती हैं. बेटियों का कहना है कि इस गांव में जन्म लेकर हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं.

Meri Kahani, New Delhi कोंडागांव जिले की राजा गांव की अनोखी परंपरा है. यहां बेटियों को बोझ नहीं बल्कि वरदान माना जाता है. बेटी की शादी को लेकर पिता को चिंता नहीं होती, क्योंकि पूरा गांव मिलकर विवाह संपन्न करवाता है.
जी हां, छत्तीसगढ़ के गोंडागांव के ग्राम राजागांव की एक अनोखी परंपरा है. इस गांव में किसी के घर बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है. इस गांव में बेटियों को कोई भी माता-पिता बोझ नहीं समझता है बल्कि उसे ईश्वर का वरदान माना जाता है.
यही नहीं, बेटी भी इस गांव में जन्म लेकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करती हैं. बेटियों का कहना है कि इस गांव में जन्म लेकर हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं.
पूरा गांव मिलकर कराता है बेटी की शादी
इससे भी बड़ी बात है कि शादी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि पूरा गांव मिलकर विवाह संपन्न करवाता है. इस विवाह में जितने भी खर्च होते हैं, यह पूरा गांव मिलकर वहन करता है.
'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' भले ही यह नारा कहीं सार्थक होता हुआ नजर न आए. मगर छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की ग्राम राजा गांव में इस नारे को ग्रामीण सार्थक कर रहे हैं. जिस घर में भी बेटी की शादी तय होती है उसी समय से ही पूरा गांव उसके खर्च वहन करने में लग जाता है.
गांव की एक-एक घर से वह तमाम चीजें पहुंचा दी जाती है जो एक विवाह के लिए जरूरी होता है. इसके लिए बकायदा शादी से पूर्व एक बैठक गांव में की जाती है, जिसका सभी को दायित्व दिया जाता है.
अब आपको हम बताते हैं कि विवाह संपन्न कराने के लिए जिन चीजों की आवश्यकता होती है, वह तमाम आवश्यक चीजें गांव के लोग इस घर में लाकर मुखिया के पास सौंप देते हैं.
जिसमें चावल, लकड़ी, दाल, आलू-सब्जी और नगदी पैसे कपड़े सभी समानों को इन ग्रामीणों के द्वारा इस परिवार के मुखिया को दिया जाता है ताकि विवाह में किसी तरह की अड़चन ना आये.
राजा गांव की सरपंच श्याम बत्ती नेताम बताती हैं कि यह परंपरा आज से नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों से चली आ रही है, जिसका हम लगातार निर्वहन कर रहे हैं. इस कार्य को करने में हम ग्रामीणों को भी काफी अच्छा महसूस होता है.
हम भी नहीं चाहते की कोई भी पिता अपनी बेटी को बोझ लगे या उसकी विवाह को लेकर किसी भी तरह की परेशानी हो. यही वजह है कि पूरा गांव मिलकर बेटी की शादी को संपन्न कराने में लग जाता है.