Success Story: गजब का जजबा!16 फ्रैक्चर और सर्जरी के बाद नहीं टूटा हौंसला, आज है IAS अफसर, पढ़ें सक्सेस स्टोरी
उम्मुल खेर ने तब घर छोड़ने और झुग्गी झोपड़ी (जेजे) क्लस्टर, त्रिलोकपुरी में अकेले रहने का मुश्किल फैसला लिया. उसने अपना गुजारा करने के लिए झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया.

Meri Kahani, New Delhi गरीबी और बीमारी दो ऐसे मुश्किल हालात हैं जिनमें अच्छे से अच्छा इंसान भी टूट जाए. लेकिन बचपन से गरीबी में रही उम्मुल वक्त के साथ मजबूत बनीं.
उन्होंने अपनी मेहनत और हिम्मते के दम पर जो कर दिखाया वो हम सबके सामने है. उम्मुल की हिम्मत और जज्बे को सलाम आइए जानते हैं उनकी कहानी.
उम्मुल खेर दीनदयाल उपाध्याय इंस्टीट्यूट फॉर द फिजिकली हैंडीकैप्ड में कक्षा V तक पढ़ीं. उसके बाद उन्होंने आठवीं कक्षा तक सरकार द्वारा संचालित धर्मार्थ संगठन, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट से पढ़ाई की.
तब उनकी मां का निधन हो गया था. परिवार ने आठवीं से आगे की शिक्षा जारी रखने से मना किया, यह तर्क दिया कि लड़की पर्याप्त शिक्षा से अधिक प्राप्त कर चुकी है. जब उन्होंने जोर दिया, तो उनकी मंशा पर सवाल उठाए गए.
उम्मुल खेर ने तब घर छोड़ने और झुग्गी झोपड़ी (जेजे) क्लस्टर, त्रिलोकपुरी में अकेले रहने का मुश्किल फैसला लिया. उसने अपना गुजारा करने के लिए झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया.
खेर के पास अकेले रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. इस दौरान अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट ने उनका कक्षा IX और X के लिए ट्यूशन का खर्च उठाया. बारहवीं कक्षा में, खेर ने 91% हासिल किए और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित गार्गी कॉलेज में दाखिला लिया.
इस दौरान ट्यूशन लेना जारी रखा. कॉलेज में वाद-विवाद प्रतियोगिताओं को जीतकर अच्छी प्रइज राशी कमाई. मनोविज्ञान (ऑनर्स) किया.
2012 में एक छोटी सी दुर्घटना ने उन्हें एक साल के लिए व्हीलचेयर पर ला दिया. ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, उम्मुल खेर ने जेएनयू में मास्टर इन इंटरनेशनल स्टडीज के लिए प्रवेश परीक्षा पास की. इससे उन्हें उतने पैसे मिले कि बिना ट्यूशन पढ़ाए वे अपनी पढ़ाई का खर्च उठा पाईं.
2013 में, जेएनयू में जूनियर रिसर्च फेलोशिप हासिल की, जिसके तहत प्रति माह 25,000 रुपये का स्टाइपेंड मिलना शुरू हुआ. सितंबर 2014 से, उम्मुल ने जापान के शुंजुकु में डस्किन लीडरशिप ट्रेनिंग में trainee के रूप में काम करना शुरू किया.
उम्मुल खेर का दूसरी कक्षा से आईएएस जैसा कुछ बनने का सपना था. पीएचडी करने के बावजूद, हार नहीं मानी सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से सपना पूरा किया. सभी बाधाओं के बावजूद दृढ़ संकल्प से सब हासिल करने में सक्षम रहीं.
इन्होंने CSE 2016 में पहले अटेंप्ट में लिखित परीक्षा में 795 + इंटरव्यू में 206 नंबर पाए. कुल 1001 नंबर पाकर, 420वीं रैंक हासिल की.