Supreme Court Decision: बहू करती है ये काम तो सास-ससुर निकाल सकते हैं घर से बाहर, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
Supreme Court Decision : सुप्रिम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत अगर बहू कुछ गलत काम करती हुई नजर आती है तो सास और ससुर को अधिकार है कि वह उसे घर से बेदखल कर सकते है। आइए नीचे खबर में इस फैसले के बारे में विस्तार से जानते है...

Meri Kahani, New Delhi: देश की सर्वोच्च न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिलाओं के पक्ष में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
न्यायालय ने कहा कि बहू को अपने सास-ससुर के घर पर रहने का पूरा अधिकार है, उन्हें जबरन ससुराल से या संपत्ति से नहीं निकाला जा सकता।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को किसी न किसी रूप में हिंसा का शिकार होना पड़ता है, देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा जैसे अपराध बड़े पैमाने पर हो रहे हैं।
तीन जजो की बेंच ने पलटा 2006 का फैसला-
बता दें कि न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजो की बेंच ने तरुण बत्रा मामले में दो जजों की पीठ के फैसले को पलट दिया है।
घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण पर 2005 के कानून को 'मील का पत्थर' करार देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार महिला का उसके पति के माता-पिता की साझा संपत्ति और रिहायशी घर पर पूरा अधिकार है।
ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति पर बहू का हक-
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि बहू का अपने ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति में रहने का कानूनी अधिकार होगा। इसके अलावा पति द्वारा अर्जित किए गए धन से बनाए गए घर पर तो पत्नि का हक होगा ही।
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ ने साल 2006 में एसआर बत्रा और अन्य बनाम तरुण बत्रा के मामले में दिए गए फैसले को पलटते हुए नया ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं को बड़ी राहत-
गौरतलब है कि साल 2006 में तरुण बत्रा मामले में दो जजों की पीठ ने कहा था कि कानून में बहू अपने पति के माता-पिता यानी सास-ससुर की संपत्ति में नहीं रह सकती हैं।
उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि पत्नि का सिर्फ अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होगा न कि सास-ससुर की संपत्ति पर। इस मामले पर फिर से सुनवाई करते हुए
अब तीन जजों की पीठ ने फैसला पलट दिया है। कोर्ट ने कहा, पति की अलग-अलग संपत्ति में ही नहीं, बल्कि साझा घर में भी बहू का अधिकार है।