Supreme Court Decision: अगर खरीद रहे हैं ये प्रोपर्टी तो होगा तगड़ा नुकसान, कोर्ट ने सुनाया फैसला
Meri Kahania

Supreme Court Decision: अगर खरीद रहे हैं ये प्रोपर्टी तो होगा तगड़ा नुकसान, कोर्ट ने सुनाया फैसला

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है कि जो अगर कोई पुरानी प्रॉपर्टी खरीदता है और उस पुरानी प्रॉपर्टी का बिजली का बिल बकाया है तो नये मालिक को वो बिल देना पड़ सकता है। आइये जानते है पूरा फैसला क्या है...
 
अगर खरीद रहे हैं ये प्रोपर्टी तो होगा तगड़ा नुकसान

Meri Kahani, New Delhi  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुनाया है कि किसी प्रॉपर्टी के पिछले मालिक का बिजली बकाया नए खरीददार से वसूल किया जा सकता है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी परिसर में बिजली की आपूर्ति फिर से शुरू करने से पहले वितरण लाइसेंसधारी को पिछले

उपभोक्ता के बकाए के भुगतान की शर्त 2003 अधिनियम (विद्युत अधिनियम 2003) की योजना के तहत वैध है. शीर्ष अदालत कई सारी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी

कि क्या पूर्व मालिक का बिजली बकाया बाद के मालिक से लिया जा सकता है.

बकाया होने पर नया कनेक्शन नहीं-

विद्युत यूटिलिटीज ने तर्क दिया था कि 2003 अधिनियम की धारा 43 के तहत बिजली की आपूर्ति की जवाबदेही पूर्ण नहीं है. अगर पिछले मालिक का बकाया है,

तो नया कनेक्शन इनकार किया जा सकता है जब तक कि पिछले मालिक द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता है.

क्या कहता है विद्युत अधिनियम 1910 और विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम 1948-

इसके विपरीत, नीलामी से खरीदने वालों ने तर्क दिया कि धारा 43 वितरण लाइसेंसधारियों को इस बात के लिए बाध्य करती है कि वो हर हाल में बिजली की सप्लाई करे।

यह तर्क दिया गया था कि विद्युत अधिनियम 1910 और विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम 1948 के प्रावधान, बिजली बोर्ड को यह अधिकार नहीं देते हैं कि वह ऐसे परिसर के नए

मालिक या कब्जाधारी से पिछले मालिक के बिजली बकाया की वसूली कर सके और बिजली बकाया का भुगतान केवल उसी व्यक्ति पर होता है जिसे बिजली की आपूर्ति की जाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा-

पीठ ने कहा कि धारा 43 के तहत बिजली की आपूर्ति की जिम्मेदारी केवल परिसर के मालिक या कब्जा करने वाले को लेकर है. खंडपीठ ने कहा कि धारा 43 के तहत

बिजली की सप्लाई करने की जिम्मेदारी परिसर के मालिक या कब्जा करने वाले के बारे में है. 2003 का अधिनियम उपभोक्ता और परिसर के बीच तालमेल की बात करता है.

धारा 43 के तहत, जब बिजली की आपूर्ति की जाती है, तो मालिक या कब्जा करने वाला केवल उन विशेष परिसरों के संबंध में उपभोक्ता बन जाता है जिसके लिए बिजली की मांग की जाती है

और विद्युत उपयोगिताओं द्वारा प्रदान की जाती है. 19 मई को दिए गए फैसले में, शीर्ष अदालत ने 19 मामलों का फैसला किया, जो करीब दो दशकों से लंबित थे.

WhatsApp Group Join Now