सर्किल रेट और मार्केट रेट में क्या है फर्क, जमीन खरीदने से पहले जान लें ये बात

Meri Kahania: डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, अभी हाल ही में एनसीआर क्षेत्र के तहत आने वाले गुरुग्राम और फरीदाबाद में सर्किल रेट में बढ़ोतरी की गई थी. सर्किल रेट में 4 से लेकर 40 फीसदी तक इजाफा कर दिया गया था. इसके बावजूद प्रॉपर्टी की वास्तविक कीमत और सर्किल रेट में बड़ा अंतर है.
उदाहरण के ग्रेटर फरीदाबाद में खाली प्लॉट का अधिकतम सर्किल रेट 4500 रुपये प्रति वर्ग फीट है. जबकि वास्तविक कीमत 6200 वर्ग फीट है. यह कई मामलों में इससे भी अधिक हो सकती है. प्रॉपर्टी का रेट इस बात पर निर्भर करेगा कि वह किसी जगह पर स्थित है.
ऐसे में सवाल उठता है कि जब रेट अलग-अलग ही हैं तो सरकार सर्किल रेट जारी ही क्यों करती है. इसका जवाब है कि सरकार ऐसा टैक्स चोरी को रोकने के लिए करती है. दरअसल, जमीन खरीदने के लिए रजिस्ट्रेशन के समस स्टांप ड्यूटी देनी होती है. अगर सर्किल रेट न हो तो प्रॉपर्टी बेचने वाला और खरीदने वाला टैक्स चोरी कर सकते हैं. एक बात यहां जानना जरूरी है कि सर्किल रेट किसी इलाके में प्रॉपर्टी का न्यूनतम रेट होते हैं. यानी उससे कम पर जमीन या घर की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती.
उदाहरण से समझें-
इसे ऐसे समझें कि अगर किसी किसी को 5,000 वर्ग फीट की जमीन लेनी है. यह जमीन उसने 1500 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से खरीदी है. तो वह जमीन उसे 75,00,000 लाख रुपये की पड़ी. उस इलाके में कोई सर्किल रेट तय नहीं है. तो खरीदार और विक्रेता यह समझौता कर सकते हैं कि जमीन का रेट कम दिखाकर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस को बचा लिया जाए. इससे स्थानीय प्रशासन को तगड़ा घाटा होगा. स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस उनके लिए राजस्व का बड़ा स्रोत हैं. इसलिए सर्किल रेट फिक्स कर दिया जाता है. इससे नीचे पर कोई प्रॉपर्टी बेची ही नहीं जाएगी. इससे स्थानीय प्रशासन की कमाई पर सेंध लगने से बच जाती है.
वास्तविक रेट-
सर्किल रेट को वास्तविक रेट के करीब रखने की कोशिश की जाती है. हालांकि, यह कभी उसके आसपास भी नहीं होता. इसमें अमूमन बहुत बड़ा फर्क होता है. वास्तविक कीमत वह होती है जिस पर बिल्डर आपको फ्लैट या घर बेचता है. यह कितना भी हो सकता है. इसे मार्केट रेट कहा जाता है. मार्केट रेट पूरी तरह से इलाके, सुविधाओं और साइज पर निर्भर करता है. अगर बिल्डर सर्किल रेट पर घर बेचने लगेगा तो उसे बड़ी चपत लगेगी. इसलिए सर्किल रेट पर कभी प्रॉपर्टी नहीं मिलती है.
कहां है भारत की सबसे महंगी जमीन-
भारत में सबसे महंगा रिहायशी इलाका दक्षिण मुंबई का तारदेव है. यहां घरों की औसत कीमत करीब 2 साल पहले 56,000 रुपये प्रति वर्ग फीट थी. दूसरा सबसे महंगा इलाका भी मुंबई में है. वर्ली में एक फ्लैट की औसत कीमत 41,000 रुपये प्रति वर्ग फीट थी.